हम अक्सर देखते हैं कि किसी व्यक्ति के जीवन में सबकुछ अच्छा चलते-चलते अचानक ही काम बिगड़ने लगते हैं, रोग आ जाते हैं या धन हानि होने लगती है, जबकि सारे ग्रह उसी अवस्था में होते हैं जिस अवस्था में अच्छे समय में थे। ऐसा क्यों होता है? यह इसलिए होता है क्योंकि कोई ग्रह जब अपनी राशि बदलने वाला होता है तो वह अगली राशि में जाने से पहले ही उसका फल देने लगता है। यह अवस्था भी ग्रहों के लिए अलग-अलग होती है। इसलिए किसी राशि में ग्रह के गोचर का अंतिम समय चलता रहता है, तब वह अगली राशि का फल भी देने लगता है। दोनों राशि के फल देने के कारण स्थिति में परिवर्तन आता है।

 कौन सा ग्रह कितना पहले देता है अगली राशि का फल वैदिक ज्योतिष के अनुसार आगे की राशि में जाने के समय से सूर्य 5 दिन पहले ही अगली राशि फल देने लगता है। उदाहरण के तौर पर यदि सूर्य अभी मकर राशि में चल रहा है तो कुंभ राशि में प्रवेश करने से 5 दिन पहले ही वह मकर के साथ कुंभ राशि का फल भी देने लगता है। इसी प्रकार मंगल 8 दिन, बुध 7 दिन, शुक्र 7 दिन और चंद्रमा 3 घटी अर्थात् 1 घंटा 12 मिनट पहले अगली राशि का फल देने लगता है। इसी प्रकार राहु और केतु 3 महीने पहले, शनि 6 महीने पहले और बृहस्पति 2 महीने पहले से अगली राशि का शुभ-अशुभ फल देने लगते हैं। 

इसलिए जब किसी जातक की कुंडली सबसे महत्वपूर्ण ग्रह का राशि परिवर्तन होने वाला हो तो उपरोक्त समय देखकर उसे ग्रह पीड़ा दूर करने के उपाय कर लेना चाहिए। औषधि स्नान से दूर होती है ग्रहों की पीड़ा दुष्ट ग्रहों की पीड़ा दूर करने और उससे उत्पन्न दोषों से मुक्ति के लिए शास्त्रों में औषधि स्नान का फल बताया गया है। नवग्रहों की शांति और दोष करने क लिए लाजा- धान का लावा, कूठ, बरिआरा, टांगुन, मोथा, सरसों, हल्दी, दारु- देवदार या दारु हल्दी, सरपुंखा और लोध्र इन औषधियों को पानी में मिलाकर स्नान करना चाहिए। इस स्नान से ग्रह दोष दूर होता है। 

क्या दान करें इनके अलावा दुष्ट ग्रह की पीड़ा शांत करने के लिए ग्रह के अनुसार दान भी किया जाता है। जैसे सूर्य के दोष को शांत करने के लिए धेनु- ब्याही हुई गौ, चंद्रमा के लिए शंख, मंगल के लिए लाल वस्त्र, बुध के लिए 80 रत्ती सोना, बृहस्पति के लिए पीतांबर, शुक्र के लिए श्वेत घोड़ा या श्वेत वस्त्र, शनि की शांति के लिए काली गाय, राहु की शांति के लिए सुंदर तलवार और केतु की शांति के लिए बकरा दान करना चाहिए। सभी ग्रहों की शांति के लिए ग्रहों के वैदिक या पौराणिक मंत्रों का जाप और दान कल्याणकारी होता है।

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